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सपने लेने के लिए अब न तो रात का इंतजार करने की जरूरत है और न ही दिन में नींद लेने की आवश्यकता। अब यहां ऐसे-ऐसे महानुभाव के पांव पड़ चुके हैं, जो आपको बिना नींद लिए ही सपनों की रंगीन दुनियां में पहुंचा देंगे। नींद लेने के दौरान अ'छा सपना आपको देखने को मिले, इसकी गारंटी तो कभी नहीं होती, लेकिन ये महानुभव हैं, जो जागते-जागते में भी आपको सपने दिखाएंगे, वो भी अ'छे फुल-फ्लेश गारंटी के साथ। इसके लिए आपको जरूर जेब ढीली करनी होगी। पसीना निचोड़कर की गई कमोई के छींटे जरूर इन महानुभावों के मारने होंगे। वो बात अलग है कि सपने आपको अ'छे दिखाएंगे, लेकिन परिणाम बुरे ही सामने आएंगे। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी उल-जलूल बातें करते हुए मैंने कौन से फट्टे में और क्यों टांग फंसा दी। अपना घर, वो भी सुंदर। सुंदर पार्क के अलावा अन्य तरह की सभी सुविधाएं, जिससे मन को सुकून और परिवार को शांति मिले। ऐसा ही सपना किसी ने नींद में देखा था और इसे पूरे करने का सपना दिखाया कुछ का लोनाइजर्स ने। सपना पूरा करने की एवज में सौ, दो सौ, हजार नहीं, बल्कि लाखों बटोर लिए कुछ का लोनाइजर्स ने। सपने भी सुनो कैसे-कैसे दिखाए- सुबह जब मकान की छत पर आकर अंगड़ाई लोगे, तो सामने होगा पार्क, जिसमें लगे भांति-भांति के पेड़-पौधों, फूलों की खुश्बू से ही आपके दिन की शुरूआत होगी। नहाने वाले पानी को भी पी लेंगे, तो आपके स्वास्थ्य पर रत्तीभर का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि पानी मिनरल वा टर से इक्कीस ही होगा। का लोनी में स्व'छ पेयजल के लिए प्लांट लगाया जाएगा। बिजली की समस्या तो सपने भी नहीं आएगी। यहां पर मिनी पा वर हाऊस लगाया जाएगा। और बात करें, सड़कों की, तो वह मलाईदार होंगी। सड़कें इतनी चौड़ी होंगी कि एक साथ बराबर में चार ट्रक निकल जाए, तो भी एक ट्रक की जगह निकलने की जगह बच ही जाएगी । पेट का पानी तक नहीं हिलेगा। लोगों की सुरक्षा के लिए चौकीदारों की व्यवस्था भी होगी। स्कूल, अस्पताल के अलावा शा पिंग मा ल भी होगा। ये देखो का लोनी का मा डल, बड़ा प्रवेश द्वार। ऐसी ही होगी का लोनी। पूरी की पूरी स्वर्ग। कुछ ही समय मेंं अ'छे-भले आदमी का दिमाग निकाल लिया का लोनाइजर्स ने। आठ-दस लाख रुपए निकाले और थमाए का लोनाइजर्स को। सपने देखने वाला भी खुश और सपने दिखाने वाला उससे भी अधिक खुश। सपने देखने वाले की खुशी पर इन दिनों गम के बादल छाए हुए हैं। जो सपने देखे थे, वे गुब्बारे की तरह फूट गए हैं। जो सपने दिखाए थे, वे सपने-सपने ही रहे। अब सुनिए सपने देखने वाले की- का लोनाइजर्स ने सुविधाएं बताते समय जाएगा, जाएगी, होगा, होगी जैसे शब्दों का अधिक उपयोग किया। यहीं मती मारी गई थी, जो इन शब्दों के चक्कर में आ गए। अब सुबह अंगड़ाई लेते हुए छत पर आते हैं, तो सामने होते हैं कचरे के ढेर और उससे उठने वाली दुर्गंध से बचने के लिए वापिस कमरे में ही चले जाते हैं। बिजली की तो पूछा हो नहीं। वह आती है और आंख मारकर चली जाती है। सड़क तो बनी नहीं, लेकिन जहां सड़क बननी थी, वह जगह चौड़ी जरूर है। बरसात के समय में कीचड़ ही कीचड़। बात सुरक्षा की करें, तो चौकीदार की बात कही थी। ... लेकिन यह चौकीदार कोई मनुष्य नहीं, बल्कि हिड़के कुत्ते (काटने वाले) का लोनी के मुख्य गेट पर मिल जाएंगे। अनजान को काटे या ना काटे, का लोनी में रहने वालों पर नजर उनकी हमेशा रहती है। जैसे-तैसे कुत्तों से बचते-बचाते आगे चलते हैं, तो घर तक पहुंचते-पहुंचते कई बार गड्ढों से गिरते-गिरते बचते हैं। नहाना तो दूर, पीने के पानी के लिए घर से दूर बने सरकारी नल की शरण में जाना होता है। कुछ दिन पहले की ही बात है, जब वाटर वक्र्स वाले अपने औजार के साथ आए और गड्ढा खोदकर पेयजल का कनेक्शन ही काट दिया। जब पूछा, तो बोला गया यह तो अवैध कनेक्शन है।... कुछ का लोनाइजर्स ने ऐसे ही सपने दिखाए हैं। पते की बात तो यह है कि सपने देखो जरूर, लेकिन खरीदो नहीं। सपने बेचने वालों से भी सावधान रहो। बाकी आपकी मर्जी।
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